मानैत छी जे नहि अछि एक्खन, दुनियाकेर भूगोलमे
तैयो छी हम बचाकऽ रखनहि जकरा माइक बोलमे
सोहर, लगनी, जटाजटिन कि झिझिया, साँझ, परातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
तैयो छी हम बचाकऽ रखनहि जकरा माइक बोलमे
सोहर, लगनी, जटाजटिन कि झिझिया, साँझ, परातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
लोहछल नस-नसमे एखनहु तिरहुतिया सोनित बरकैए
केहनहु बज्जर मैथिलकेर धड़कनमे मिथिलहि धड़कैए
जिनगीक तुलसी चौरामे नित बरैत दीपक बातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
केहनहु बज्जर मैथिलकेर धड़कनमे मिथिलहि धड़कैए
जिनगीक तुलसी चौरामे नित बरैत दीपक बातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
बगय-बानि बदलल रहितो माथा संस्कारक पाग जतऽ
विद्यापतिकेर गीतक सङ्ग पसरल मधुमय अनुराग जतऽ
होरीक रङ्ग, धुरखेलक सङ्ग सुकरातीक उक्कापातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
विद्यापतिकेर गीतक सङ्ग पसरल मधुमय अनुराग जतऽ
होरीक रङ्ग, धुरखेलक सङ्ग सुकरातीक उक्कापातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
सुरुजक अगुआनीलए जइठाँ महिँस-पीठपर पसर खुलै
सैर बराबरि गबैत जतऽ पौरखिया चाँचर प्रेम झुलै
करसी जरबैत घूरमे आऽ कनकन्नी पचबैत गाँतीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
सैर बराबरि गबैत जतऽ पौरखिया चाँचर प्रेम झुलै
करसी जरबैत घूरमे आऽ कनकन्नी पचबैत गाँतीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
मन-मनमे दहकैत चिनगीकेँ हवा लगाकऽ प्रखर करी
अन्हड़िमे बहकैत जिनगी ठेकनाएल पथपर मुखर करी
कतऽ-कतऽ बौआएब कते, जोड़ी मन-तार गतातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
अन्हड़िमे बहकैत जिनगी ठेकनाएल पथपर मुखर करी
कतऽ-कतऽ बौआएब कते, जोड़ी मन-तार गतातीमे
एकहकटा मिथिला जीबैए, एकहक मैथिल छातीमे
2 comments:
भाई जी कविता पढि मन हर्ष विभोर भ गेल। साचे मिथिला राजनैतिक भुगोल मे हरायल रहितो सम्पुर्ण मैथिल क ह्रदय मे धडकि रहल अछि।
जय माय मैथिली।
बहुत-बहुत धन्यवाद कर्णजी। अहाँक परिचय कने आओर भेटैत तँ प्रसन्नता होइतए। जँ अहाँ नेपालक रहनिहार छी तँ एतेक अवश्य कहब जे हृदयमे धडकैत मिथिलाकेँ साकार करबाक अवसर सेहो हमरासभक समक्ष उपस्थित अछि, जकरा लेल हमरासभकेँ साकांक्ष आ सक्रिय होबऽ पडत। ओना भारतदिस सेहो अवस्था अलग नहि छैक।
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